लखनऊ। केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ बुधावार को किया गया। तीन दिन तक चलने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ.प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया। इस कार्यक्रम में देश के 15 राज्यों से 55 किसानों, उद्यमियों एवं महिलाओं ने ऑनलाइन भाग लिया।
डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि इस कोविड–19 महामारी से भी हमें सीख ही मिली है कि हम लोग सुदूर बैठे ही इंटरनेट के माध्यम से आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सुगंधित फसलों की खेती, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं विपणन की जानकारी उपलब्ध हो पा रहें हैं। साथ ही इन औषधीय एवं सुगंधित फसलें खास कर औषधीय फसलें इस महामारी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। सीएसआईआर-सीमैप के वैज्ञानिकों का लगातार यह प्रयास रहा है कि औषधीय एवं सगन्ध पौधों की ज्यादा से ज्यादा उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में किसान भाइयों के लिए उपलब्ध करा सकें।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश, मेंथा तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर दूसरे देशों को निर्यात कर रहा है और इसमें उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है। साथ ही खस, जिरेनियम एवं तुलसी आदि तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए अग्रसर है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप औषधीय एवं सुगंधित पौधों से निर्मित हर्बल उत्पादों की तकनीकियों को विकसित किया है। इन हर्बल उत्पादों की तकनीकियों को किसान व उद्यमी प्राप्त कर हर्बल उत्पादों को अपने ब्रांड के नाम के साथ बाजार में उतार सकते हैं। सीएसआईआर-सीमैप स्टार्टअप्स के लिए इनक्यूबेसन सुविधा भी उपलबध कराता है।
डॉ. संजय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक एवं सीमैप सिड़बी परियोजना प्रभारी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा संस्थान की प्रचार, प्रसार गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सीमैप प्रतिवर्ष देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार के कार्यकाल आयोजित करता रहा है तथा पिछले पंद्रह वर्षों में सीमैप ने 150 से ज्यादा इस तरह के प्रशिक्षण आयोजित किया है। 10 हजार से ज्यादा लोगों को देश भर में प्रशिक्षित किया है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में औषधीय एवं सुगंधित पौधों कि खेती व अन्य आयामों को अपनाकर फायदा उठा रहे हैं।
तकनीकी सत्र में डा.संजय कुमार ने संस्थान की गतिविधियों एवं प्रदत्त सेवाओं से प्रतिभागियों को अवगत कराया तथा नीबूघास की उन्नत कृषि तकनीक को भी प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. राजेश वर्मा ने खस के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी के बारें में प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने सिट्रोनेला तथा डॉ. राम सुरेश शर्मा ने तुलसी की उन्नत कृषि तकनीकियों पर किसानों से विस्तार से चर्चा की। डॉ. सौदान सिंह ने मिंट की उन्नत कृषि क्रियाओं के बारें में प्रतिभागियों को बताया।
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