प्रतापगढ़। जिले में इस बार 7,051 हेक्टेयर में आंवले की खेती हुई है। पिछले वर्ष 51,132 मीट्रिक टन आंवला का उत्पादन हुआ था। इस बार आंवले का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। इसका विस्तृत आंकड़ा उद्यान विभाग जुटा रहा है।
कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय किसान अपनी फसल को लेकर परेशान थे। लेकिन, अब मांग बढ़ने से अच्छी कीमत किसानों की मिल रही है। इसके चलते और लोगों का ध्यान पुनः आंवले की खेती की तरफ बढ़ा है। जिले के आंवला किसानों की उम्मीदें आसमान पर है। संक्रमण से लड़ने के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर माने जा रहे आंवला की जबरदस्त मांग है। मांग बढ़ने के साथ आंवला के दाम भी बढ़ गए हैं। ऐसे में अच्छी फसल से किसान भरपूर कमाई कर रहे हैं। कई बड़ी कंपनियों ने किसानों का आंवला खरीदने के लिए जिले में डेरा डाल दिया।
प्रदेश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी आंवले की मांग बढ़ने से इसके उत्पादों के दामों में काफी उछाल आया है। आंवले की कैंडी, बर्फी, लड्डू, जूस, मुरब्बा की मांग इतनी बढ़ गई कि जिले में कारोबार करने वालों के पास कच्चे माल की कमी पड़ गई। अब नए सीजन में अच्छी पैदावार की कमाई से पिछले वर्षों में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी। मांग अधिक होने से दाम अच्छे मिल रहे हैं। जिले में झंडू, पतंजलि, डाबर, गुरुकुल कांगड़ी के एजेंट व्यापारियों से संपर्क कर थोक भाव में आंवला खरीद रहे हैं।
जिला उद्यान अधिकारी-एके दुबे ने बताया कि जनपद में इस वर्ष आंवले की पैदावार अच्छी हुई है। इससे उम्मीद है कि पिछले नुकसान की भरपाई होगी। किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए आयुर्वेदिक कंपनियों को बुलाया गया है। किसान अपनी इच्छा के अनुरुप आंवला बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। मंडी सचिव रमेश पांडेय के मुताबिक मंडी में थोक विक्रेता के साथ ही आयुर्वेदिक कंपनियों के एजेंट आंवला खरीद कर रहे हैं, जिससे आंवला किसानों को सफल का अच्छा मूल्य प्राप्त हो रहा है।
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