कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस में रहते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधाननगर नगर निगम के मेयर और राजारहाट के विधायक सब्यसाची दत्त ने गुरुवार को बड़ी घोषणा की। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'मेयर पद पर रहते हुए मैंने भ्रष्ट कारोबारियों और गैरकानूनी कार्यों के खिलाफ लगातार आवाज उठाई। राजारहाट इलाके के जलाशयों के मुद्दे पर सरकार से कोई मदद नहीं मिली। मेयर पद पर रहते हुए नगर पालिका कानूनों की रक्षा नहीं कर पाने के कारण मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।' एक दिन पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सब्यसाची के पक्ष में फैसला सुनाया था।
विधाननगर नगर निगम में उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को न्यायालय ने रद्द कर दिया था और दो दिन के अंदर नए सिरे से उनके खिलाफ प्रस्ताव लाने का निर्देश नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णा चक्रवर्ती को दिया था।उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले 7 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मुकुल राय सब्यसाची के घर गए थे। दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई थी। इसके बाद सब्यसाची के भाजपा में जाने की अटकलें तेज हुईं। राय से मुलाकात पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी नाराज हुई थीं। बावजूद इसके सब्यसाची ने लगातार ममता बनर्जी और अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा जारी रखा।
बालाकोट हवाई हमले पर ममता बनर्जी की टिप्पणी पर उन्होंने कहा था जो लोग वायु सेना पर सवाल खड़ा कर रहे हैं उन्हें देश माफ नहीं करेगा। लोकसभा चुनाव के बाद भी उन्होंने पार्टी और सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया। जून के अंतिम सप्ताह में उन्होंने बिजली मंत्री शोभन देव चटर्जी के खिलाफ आयोजित एक आंदोलन का नेतृत्व किया। उसके बाद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। नौ जुलाई को विधाननगर निगम में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव में तृणमूल के 38 में से 35 पार्षदों ने हस्ताक्षर किए। उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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