भोपाल। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से सनातनी हिन्दू धर्म के सभी कार्य आगामी चार माह के लिए रुकने जा रहे हैं। शुक्रवार को यह देवशयनी एकादशी है। विशेषकर मांगलिक कार्यों में देवशयनी से सगाई, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवित, दीक्षा संस्कार जैसे समस्त कार्यों पर विराम लग जाता है। इसके बाद शादियों की शहनाई 08 नवंबर को देव उठने के साथ मांगलिक कार्य शुरू होते ही बजेगी। इस दिन चातुर्मास का समापन भी होगा।
आचार्य भरत दुबे ने बताया कि 12 जुलाई से 07 नवंबर-19 तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। यह रोक 08 नवम्बर देव उठनी ग्यारस से हटेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्योतिषी गणना से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक पक्ष की एकादशी तक भगवान विष्णु का शयनकाल है। उन्होंने कहा कि देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है और इस दिन से आगामी चार माह तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां पहरा देते हैं। यह हमारी सनातनी मान्यता है।
इस संबंध में पं. हेमलाल शास्त्री का कहना है कि देवशयनी एकादशी के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। इसलिए भी मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं और भवन निर्माण, मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह, उपनयन जैसे कार्य नहीं होते हैं। इस दौरान अन्य धार्मिक अनुष्ठान, सत्संग, कथाएं, पूजन और यज्ञ-पूजन के कार्यक्रम होते रहेंगे। सनातनी इस चातुर्मास अवधि में साधु-संतों के सत्संग का अधिकतम लाभ ले सकते हैं।
बाजार में कारोबार रहेगा मंदा
देवशयनी एकादशी होने से थमी शादियों व अन्य मांगलिक कार्य का असर सीधे तौर पर सभी प्रकार के बाजार पर भी देखने को मिलेगा। खासकर शादी-ब्याह में सराफा, किराना, फर्नीचर, कपड़ा, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक बाजार में खरीदी होती है, जो अब थम जाएगी। कुल मिलाकर खरीद घटने से दैनिक कारोबार मंदा रहेगा।
केवल धार्मिक वस्तुओं, फलाहारी खानपान की सामग्री का बाजार ही चलेगा। हालांकि बीच में रक्षाबंधन पर्व भी है जिससे कि अल्प समय के लिए कुछ कारोबार सुधरेगा। जिसके बाद दीपावली आने की तैयारियों से बाजार में रौनक लौटेगी, जो शादी-ब्याह के आगामी समय देवशयनी ग्यारस के पूर्व दशमी तिथि आषाढ़, शुक्लपक्ष तक बनी रहेगी।
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