नई दिल्ली। देश में बढ़ती भीड़ हिंसा की घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विचार रखे। एक अखबार को दिए ईमेल इंटरव्यू में उन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन, लोकसभा चुनाव, असम विवाद, भीड़ हिंसा, सोशल मीडिया के दुरुपयोग, युवाओं की शिक्षा और रोजगार सहित विभिन्न मुद्दो पर बात की।
पीएम मोदी से जब पूछा गया कि आप अतीत में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा की निंदा करते रहे हैं लेकिन इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। भीड़ हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
कोई भी शख्स किसी भी परिस्थिति में कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है और हिंसा नहीं कर सकता है। राज्य सरकारों को भीड़ की हिंसा पर लगाम कसने के लिए प्रभावी उपाय करने चाहिए और अपने नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से क्यों ना आते हों।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मुझे अपेक्षा है कि सभी- सरकार और बड़े स्तर पर लोग, सरकार के अंग और राजनीतिक दलों की यह जिम्मेदारी है कि वे इस घृणित कार्य से लड़ें। इस मुद्दे पर नई सिफारिशें देने के लिए सरकार ने केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है।
इसकी कड़े शब्दों में निंदा किए जाने की जरुरत है। हमारी सरकार कानून का राज स्थापित करने और जीवन की सुरक्षा और हर नागरिक की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है।
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उन्होंने आगे कहा, इस मुद्दे पर बिल्कुल भी संदेह नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे पर हमारी सरकार ने राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए हुए हैं। मैं यह बात साफ कर देना चाहता हूं कि मॉब लिंचिंग एक अपराध है, बेशक इसका उद्देश्य कुछ भी हो।