भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा का सत्र दस दिन चलने का बाद रविवार शाम को 30 दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस संबंध में प्रस्ताव पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने शाम 4.41 बजे सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
सत्तारूढ़ पार्टी की मुख्य सचेतक श्रीमती प्रमिला मलिक ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब किसी प्रकार का महत्वपूर्ण काम नहीं बचा है, इस कारण सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया जाए। बीजद विधायक अमर प्रसाद शतपथी, अश्विनी पात्र, प्रीतिरंजन घडाई व संसदीय मामलों के मंत्री विक्रम केशरी आरुख ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद वाहिनीपति व सुरेश राउतराय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि लोगों से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा के लिए सदन को जारी रखना चाहिए। भाजपा विधायक परी हत्या मामले में सीबीआई जांच व कृषि मंत्री अरुण साहू के त्यागपत्र की मांग कर रहे थे जिस कारण भाजपा विधायकों ने इस चर्चा में भाग नहीं लिया।
इस संबंध में प्रस्ताव पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इससे पहले श्री पात्र ने बताया कि इस सत्र के दौरान 1192 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर सदन में रखे गए। इस सत्र में दो कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा किये जाने के साथ साथ 70 कागजात पेश किये गये। इस सत्र के दौरान राज्य की प्रथम महिला सुशीला देवी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शरत कर, पूर्व विधायक गुरुपद नंद, कार्तिकेश्वर पात्र के लिए शोक प्रस्ताव पारित किये गये।
उल्लेखनीय है कि यह सत्र आगामी 31 दिसम्बर को समाप्त होना था। महज 10 दिनों तक चलने के बावजूद यह काफी महत्वपूर्ण था। इस सत्र में 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए पूरक बजट पारित किया गया। इस सत्र में कुल 10 विधेयक लाये जाने के लिए नोटिस आया था लेकिन छह विधेयक चर्चा कर पारित किये गए। राज्य में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति, कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद करने आदि विषयों पर चर्चा हुई। इसी तरह पुरी व वीरमित्रपुर में पुलिस हिरासत में मौत के मामले को लेकर भी विपक्ष ने सरकार को घेरा।
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