नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को आतंकवाद के संकट का सामना करने के लिए सभी एशियाई देशों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जाता, यह लोगों के समृद्ध जीवन के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को निष्फल करता रहेगा। उप राष्ट्रपति ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की 101वीं जयंती पर उनके सम्मान में एक स्मृति डाक टिकट जारी किया। उन्होंने कहा कि गुजराल 'गुजराल डॉक्ट्रिन' के लिए सदैव याद किए जाएंगे। उन्होंने इस बात का समर्थन किया कि मौजूदा पीढ़ियों को इंद्र कुमार गुजराल जैसे महान नेताओं के जीवन और उनके योगदान से अवगत कराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विश्व की आबादी में दक्षिण एशियाई क्षेत्र का योगदान एक चौथाई है। नायडू ने जोर देकर कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) क्षेत्रीय समूह इस क्षेत्र में समृद्धि और यहां के लोगों के बेहतर जीवन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी और जीवंत संगठन बन सकता है, लेकिन इसके लिए सभी देशों को आतंकवाद के समाप्त करने की दिशा में एकसाथ मिलकर ईमानदारी से प्रयास करने की जरूरत है। उप राष्ट्रपति ने दोहराया कि भारत हमेशा अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने में विश्वास करता है, लेकिन दुर्भाग्य से हम पिछले कई वर्षों से सरकार प्रायोजित और सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहे हैं।
नायडू ने आतंकी गतिविधियों के प्रायोजक देशों को अलग-थलग करने और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाने के प्रयासों को बढ़ावा देने का संयुक्त राष्ट्र से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वह इस बात के पक्ष में हैं कि संयुक्त राष्ट्र एक और अधिक सक्रिय भूमिका निभाए और आतंकी गतिविधियों को प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों को अलग करने और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाने में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श पर जो निष्कर्ष निकला है और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के तत्वों को स्वीकार करने में अब और देरी नहीं की जा सकती है।"
उप राष्ट्रपति ने सभी राजनेताओं से अपने विरोधियों को प्रतिस्पर्धी और शत्रु नहीं मानने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें आपस में अच्छे संबंध बनाने चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से, ‘राष्ट्र प्रथम’ की नीति का पालन करते हुए कहा कि वे अपने मतभेदों को एक तरफ रखकर राष्ट्रीय हित में विदेश नीति का समर्थन करें।इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया और इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है कि मद्रास उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों की संख्या 13 तक पहुंच गई है, जो देश के किसी भी उच्च न्यायालय में कल तक सर्वाधिक थी। उप राष्ट्रपति ने मद्रास उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय और तमिलनाडु तथा भारत सरकार की इस प्रयास के लिए सराहना करते हुए कहा कि अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुकरण करना चाहिए। देश के उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की कम संख्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उप राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता व्यक्त की।
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