नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इसी बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार वॉटर कैनन से किसानों को रोकने की कोशिश न करती तो ये बॉर्डर सील नहीं होते। सरकार को किसानों के लिए पहले ही जगह निर्धारित कर देनी चाहिए थी। हरियाणा सरकार ने सड़कें खुदवाकर किसान के अहम को चोट पहुंचाने का काम किया है।
आंदोलनकारी अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र से किसानों के आंदोलन का किया समर्थन।
आंदोलनकारी किसानों को सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का भी समर्थन मिला है। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए रविवार को इकट्ठा हुए। वकीलों ने कहा कि राइट टू प्रोटेस्ट हर नागरिक का हक है, किसानों को ये मिलना चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर के बयानों पर भी वकीलों ने निंदा की। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील एचएस फुलका ने कहा कि किसानों को उग्रवादी, खालिस्तानी कहा गया इसकी वह कड़ी निंदा करते हैं।
कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेता हरमीत सिंह कादियां ने कहा कि हमने फैसला लिया कि सभी बॉर्डर और रोड ऐसे ही ब्लॉक रहेंगे। गृह मंत्री ने शर्त रखी थी कि अगर हम मैदान में धरना देते हैं तो वो तुरंत मीटिंग के लिए बुला लेंगे। हमने शर्त खारिज़ कर दी है। अगर वो बिना शर्त के मीटिंग के लिए बुलाएंगे तो ही हम जाएंगे।
वही दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार द्वारा बातचीत के लिए जो कंडीशन थी हम उसे किसान संगठनों का अपमान मानते हैं। अब हम बुराड़ी पार्क में बिलकुल नहीं जाएंगे। हमें पता चला है कि वो पार्क नहीं ओपन ज़ेल है। हम ओपन ज़ेल में जाने की बजाय 5 मेन मार्ग जाम कर दिल्ली की घेराबंदी करेंगे।
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